शादी से पाहले 4-5 शाल मैने नौकरी की और उसमें आगे बढ़ती गयी। लेकिन शादी के बाद घर और नौकरी के बीच बढ़ी दूरी खलने लगी। घर से दफतार बहुत दुर था। पुत्र जन्म के बाद तो यह बोझ ही बन गयी। मैं नौकरी बदलने के लिये विज्ञापन देख कर आवेदन करती रहती। मैं मायके आयी हुई थी, तभी पता चला कि इंटरव्यू का काॅल लेटर आया है। मेरी कोई खास तौयारी नहीं थी। मैं जाना नहीं चाहती थी, पर माँ ने समझाया कि हमें प्रयास नहीं छोड़ने चाहिये। सफलता मिले, तो बहुत अच्छा वरना तुम अनुभव के लिये ही जाओ। मैं नियत समय से पाहले ही साक्षात्कार देने के लिये पहुच गयी। इंटरव्यू मे मैंने पूरे आत्मविश्वास से प्रश्नों के उत्तर दिए।
अगले दिन फोन आया कि मैं मेरिट मे प्रथम चुनी गयी हु और मुझे नौकरी मिल गयी है। मेरी आंखे भर आयी। माँ को बतायी तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मुझे खुशी है कि मैंने उस अवसर का लाभ उठाया। हालात कैसा भी हो हमे प्रयास करना छो़ड़ना नहीं चाहिये। सफालता आज न काल मिल ही जायेगी।
अगले दिन फोन आया कि मैं मेरिट मे प्रथम चुनी गयी हु और मुझे नौकरी मिल गयी है। मेरी आंखे भर आयी। माँ को बतायी तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मुझे खुशी है कि मैंने उस अवसर का लाभ उठाया। हालात कैसा भी हो हमे प्रयास करना छो़ड़ना नहीं चाहिये। सफालता आज न काल मिल ही जायेगी।
No comments:
Post a Comment